गुरुवार, सितंबर 17, 2009

कैमरे की नज़र

पिछले दिनों आगरा फतेहपुर सीकरी जाने का  मौका लगा। झटपट यात्रा की कुछ तस्‍वीरें

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और तस्‍वीरें देखने के लिए यहॉं क्लिक करें

गुरुवार, मई 07, 2009

मैं पप्‍पू बन गया

आज मेरे न चाहते हुए भी चुनाव आयोग ने ही मेरे को पप्‍पू बना दिया। तीन पोलिंग स्‍टेशनों वोटर कार्ड हाथ में लिए घूमने और धक्‍के खाने के बाद , करीब 22 लिस्‍टें खुद देखने के बाद मैंने मान लिया कि मैं पप्‍पू हूँ।

सवेरे तैयार होकर पोलिंग स्‍टेशन पहुँचे तो एक पार्टी के कार्यकर्ता ने बताया कि आपका वोट यहॉं नहीं बल्कि दूसरे पोलिंग स्‍टेशन पर है। हमने कहा कोई बात नहीं, बिना देर किए हम तुरंत दूसरे पोलिंग स्‍टेशन की तरफ लपके। वहॉं बैठी दो महिलाओं ने 4-5 लिस्‍टें खंगाली और नाम न पाकर वो लिस्‍टें मेरे हाथ में पकड़ा दी कि हमें तो मिला नहीं आप खुद देख लिजिए। पॉंचो लिस्‍टें देखने के बाद हम थोड़े मायूस हुए। बताया गया कि बराबर वाले बूथ में भी चैक कर लें नहीं तो फिर जहॉं से आए थे वहीं दोबारा जाऍं। बराबर वाले बूथ में भी 6 लिस्‍टें देखी पर नाकामी हाथ लगी। लौट के पप्‍पू पुराने पोलिंग स्‍टेशन पर आए। इस बार किसी पाटी कार्यकर्ता से न मिलकर सीधे चुनाव आयोग के बंदों से मिले। उन्‍होंने हमारे हाथ में फिर 6 लिस्‍टें थमा दी कि भई खुद ही देख लो। हमें तो किसी का नाम मिल नहीं रहा।  फिर से सारी लिस्‍टें देखी पर कोई फायदा नहीं।

अब बताया गया कि एक तीसरा पोलिंग स्‍टेशन है दोतीन किलोमीटर दूर वहॉं और देख आओ। इस गर्मी में पैदल दौड़ते भागते आधे पप्‍पू तो हो ही चुके थे। घर लौटे, ठंडा पानी पिया और दोपहिया पर सवार होकर चल पड़े वोट डालने। तीसरे पोलिंग स्‍टेशन की 7 लिस्‍टों में भी जब अपना नाम नहीं मिला तो मान लिया कि चुनाव आयोग ने आज पप्‍पू बना ही दिया। बाहर निकले तो एक पार्टी के बस्‍ते पर वोटरलिस्‍ट हाथ में लिए एक मित्र से मुलाकात हो गई। आशा की किरण जागी। उसने काफी तलाश किया तो 22 और 24 नम्‍बर के मकान तो मिल गए पर हाए री किस्‍मत हमारा 23 नम्‍बर उस लिस्‍ट से भी नदारद था।

अकेले हम ही नहीं और भी कई लोग थे जो हाथ में वोटर कार्ड लिए मारे मारे घूम रहे थे कि और पोलिंग स्‍टेशनों पर अपना नाम ढूंढ यहे थे। कुलमिलाकर मैं और मेरे जैसे कई लोगों को आज वोटरलिस्‍टों की गड़बड़ी और बदइंतज़ामी ने हमारे न चाहते हुए भी पप्‍पू बना दिया और लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग लेने से वंचित कर दिया।

 

बुधवार, अप्रैल 22, 2009

इकबाल बानो के स्‍वर में जम्‍हूरिय‍त की आवाज़

Iqbal Bano

 

सवेरे सवेरे ख़बर पढ़ी की विख्‍यात ग़ज़ल गायिका इकबाल बानो का मंगलवार को लाहौर में निधन हो गया।

आज उनकी याद में उन्‍हीं की आवाज़ में कलामे-फैज़

 

 

 

 

हम देखेंगे
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
हम देखेंगे .......
वो दिन कि जिसका वादा है
जो लौह-ए-अजल में लिखा है
हम देखेंगे .......
जब जुल्म ए सितम के कोह-ए-गरां
रुई की तरह उड़ जाएँगे
हम महकूमों के पाँव तले
जब धरती धड़ धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हक़म के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
हम देखेंगे .......
जब अर्ज़-ए-खुदा के काबे से
सब बुत उठवाये जायेंगे
हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
हम देखेंगे .......
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो गायब भी है हाजिर भी
जो नाजिर भी है मंज़र भी
उठेगा अनलहक का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज करेगी ख़ल्क-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
हम देखेंगे .......

- फैज़

सोमवार, अप्रैल 13, 2009

कांग्रेस के बारे में कुछ नई जानकारी

कक्षा आठ या नौ में इतिहास की किताब में कांग्रेस के गठन के बारे में बताया था कि श्री एलन ऑक्‍तावियन ह्यूम ने 1885 में कांग्रेस का गठन किया।

नरेन्‍द्र मोदी ने कांग्रेस को 125 साल की बुढि़या क्‍या बोला, कांग्रेसी हत्‍थे से उखड़ गए। अब जिसकी पैदाइश के बारे में इतिहास की किताबों में पढ़ाया जाए, मेरी समझ से तो वो बुज़ुर्गों की श्रेण्‍ाी में ही आएगी। खैर छोडि़ये, चुनावों का मौसम है, इसमें तो यह सब चलता ही रहेगा। वैसे भी होली और चुनावी मौसम में सारे झूठ, सच।

अब वो जिसके कारण य‍ह पोस्‍ट लिखी गई ---

भारत को आज़ादी दिलाने में किसी पार्टी का योगदान है तो वो केवल कांग्रेस। कांग्रेस ही वह पार्टी है जिसने भारत को आज़ाद कराया। गांधी, नेहरु, पटेल सब कांग्रेस के ही थे।आज़ादी की लड़ाई के सारे बड़े नेताओं ने कांग्रेस के झण्‍डे के नीचे की भारत से अंग्रेज़ो को बाहर खेदेड़ा।

1947 ही नहीं बल्कि आज़ादी की पहली जंग भी कांग्रेस के नेत़त्‍व में ही लड़ी गई। झांसी की रानी लक्ष्‍मी बाई, तात्‍या टोपे ने भी और आखिरी मुगल ज़फ़र .......... उसके बाद सब सन्‍नाटा हो गया।

यह सब मैं नहीं कह रहा। यह तो कुछ दिन पहले घर के सामने हो रही कांग्रेस की चुनावी सभा में कोई श्री कांग्रेसी ही बोल रहे थे। मैं तो केवल सुन ही पाया। दर्शनलाभ भी नहीं मिला। जबतक दर्शनलाभ करने जाता तबतक लोगों ने वक्‍ता को माइक से दूर खींच लिया था या बिजली बंद कर दी थी पता नहीं पर जाते-जाते वो श्री कांग्रेसी ऐसा ज्ञान दे गए जो पूरे स्‍कूली जीवन की इतिहास की किताबों में न मिला।

जय कांग्रेस, जय भारत के नेता और जय लोकतंत्र

ऐसे में श्री शरद जोशी का वो व्‍यंग्‍य लेख याद आता है जिसमें उन्‍होने घोषणा की थी कि भारत में जो कुछ है वाे एक दिन कांग्रेस हो जाएगा। मेरे पास शायद उसकी टेप है जन्ल्‍द ही पोस्‍ट करता हूँ।

 

बुधवार, जनवरी 07, 2009

पंचांग 2009 - व्रत त्‍यौहार

2009 आप सबको शुभ हो।

 

पिछले  वर्ष अप्रैल-मई में वेबदुनिया पर घूमते हुए मेरे को वर्ष भर के व्रत-त्‍यौहारों की  एक सूची मिली थी।

मैंने चिरकालीन भारतीय साधन 'जुगाड़' का उपयोग करते हुए उसे अपने और अपने परिजनों-मित्रों के बीच कैलेण्‍डर रूप में साझा कर लिया था।  गूगल कैलेण्‍डर पर उसे अपलोड करके मोजि़ला सनबर्ड के माध्‍यम से उसका उपयोग करता था। 

 

एक मित्र ने नए वर्ष की बधाई देते हुए 2009 के पंचांग की मांग की, तो फिर से जुगाड़ किया। सोचा की इस बार आप सब से भी यह साझा कर लूँ। 

 

मैंने सिर्फ जानकारी को प्रस्‍तुत करने का रूप बदला है। जानकारी का स्रोत वेबदुनिया है। मूल तालिका यहॉं उपलब्‍ध है।

 

2009  पंचांग के लिए आप इनमें से अपनी सुविधानुसार किसी भी लिं‍क का उपयोग कर सकते है।

 

यह कैलेण्‍डर 'पब्लिक' है माने सबके लिए खुला है इसलिए इस लिंक को आप किसी को भी भेज सकते हैं।

 

एमएस आउटलुक, सनबर्ड या ऐसी किसी एप्लिकेशन में इसे जोड़ भी सकते हैं।