गुरुवार, मई 07, 2009

मैं पप्‍पू बन गया

आज मेरे न चाहते हुए भी चुनाव आयोग ने ही मेरे को पप्‍पू बना दिया। तीन पोलिंग स्‍टेशनों वोटर कार्ड हाथ में लिए घूमने और धक्‍के खाने के बाद , करीब 22 लिस्‍टें खुद देखने के बाद मैंने मान लिया कि मैं पप्‍पू हूँ।

सवेरे तैयार होकर पोलिंग स्‍टेशन पहुँचे तो एक पार्टी के कार्यकर्ता ने बताया कि आपका वोट यहॉं नहीं बल्कि दूसरे पोलिंग स्‍टेशन पर है। हमने कहा कोई बात नहीं, बिना देर किए हम तुरंत दूसरे पोलिंग स्‍टेशन की तरफ लपके। वहॉं बैठी दो महिलाओं ने 4-5 लिस्‍टें खंगाली और नाम न पाकर वो लिस्‍टें मेरे हाथ में पकड़ा दी कि हमें तो मिला नहीं आप खुद देख लिजिए। पॉंचो लिस्‍टें देखने के बाद हम थोड़े मायूस हुए। बताया गया कि बराबर वाले बूथ में भी चैक कर लें नहीं तो फिर जहॉं से आए थे वहीं दोबारा जाऍं। बराबर वाले बूथ में भी 6 लिस्‍टें देखी पर नाकामी हाथ लगी। लौट के पप्‍पू पुराने पोलिंग स्‍टेशन पर आए। इस बार किसी पाटी कार्यकर्ता से न मिलकर सीधे चुनाव आयोग के बंदों से मिले। उन्‍होंने हमारे हाथ में फिर 6 लिस्‍टें थमा दी कि भई खुद ही देख लो। हमें तो किसी का नाम मिल नहीं रहा।  फिर से सारी लिस्‍टें देखी पर कोई फायदा नहीं।

अब बताया गया कि एक तीसरा पोलिंग स्‍टेशन है दोतीन किलोमीटर दूर वहॉं और देख आओ। इस गर्मी में पैदल दौड़ते भागते आधे पप्‍पू तो हो ही चुके थे। घर लौटे, ठंडा पानी पिया और दोपहिया पर सवार होकर चल पड़े वोट डालने। तीसरे पोलिंग स्‍टेशन की 7 लिस्‍टों में भी जब अपना नाम नहीं मिला तो मान लिया कि चुनाव आयोग ने आज पप्‍पू बना ही दिया। बाहर निकले तो एक पार्टी के बस्‍ते पर वोटरलिस्‍ट हाथ में लिए एक मित्र से मुलाकात हो गई। आशा की किरण जागी। उसने काफी तलाश किया तो 22 और 24 नम्‍बर के मकान तो मिल गए पर हाए री किस्‍मत हमारा 23 नम्‍बर उस लिस्‍ट से भी नदारद था।

अकेले हम ही नहीं और भी कई लोग थे जो हाथ में वोटर कार्ड लिए मारे मारे घूम रहे थे कि और पोलिंग स्‍टेशनों पर अपना नाम ढूंढ यहे थे। कुलमिलाकर मैं और मेरे जैसे कई लोगों को आज वोटरलिस्‍टों की गड़बड़ी और बदइंतज़ामी ने हमारे न चाहते हुए भी पप्‍पू बना दिया और लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग लेने से वंचित कर दिया।

 

9 टिप्‍पणियॉं:

Soumitra ने कहा…

This is sad. And then we say that people are not encouraged to vote and cities like Mumbai have only 45% voting. When people who are actually interested in voting, don't find there names, and no one is there to help, what do we do?? We are ready to do that, but what and how? its a big question, we need to find the answer.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

Sorry

अपने एतिहासिक कारनामा किया और हम बधाई भी नही दे सकते। अगली बार वोटर लिस्‍ट में नाम डलवा लीजिए

अक्षत विचार ने कहा…

aap nahi bhai chunav ayog bana hai papu. apko to main jimedar nagrik manuga.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सचेत मतदाता को सूची संशोधन के समय ही देख लेना चाहिए कि उस का नाम मतदाता सूची में है या नहीं।

अजित वडनेरकर ने कहा…

यही तमाम वजह होती हैं जिसकी वजह से लोग वोटिंग से कतराते हैं। लिस्ट में नाम खुद होकर दाखिल कराने की फुर्सत तो होती तो बात ही क्या थी।
खैर, इस बहाने चाय चिंतन तो हुआ:)

Udan Tashtari ने कहा…

खैर, बुरा हुआ..

वैसे- कैसे हैं आप, पप्पू जी!! :)

Sachindra Kumar ने कहा…

I really appreciate your efforts ....

Arpita :-( ने कहा…

So sad!!!! but mere saath bhi yahi hua.

Vishesh ने कहा…

MAIN BHI PAPPU BAN GAYA ! MERA LIST MEIN NAME NAHI THA ! ZEE NEWS WALON NE MERA INTERVIEW LIYA WITH MY VOTER ID CARD.