आज फिर शनिवार है और सुना है कि आज शनि अमावस्या भी है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आज के दिन शनिदेव अपने चलने की दिशा बदलते हैं। जिससे उनका जो प्रभाव बाकी राशियों पर पड़ता है उसमें भी फ़र्क आ जाता है।
इस पूरी जानकारी के बाद ये आसानी से समझा जा सकता है कि आज के दिन भारत के हिन्दी टीवी समाचार चैनल वाले कितने व्यस्त होंगे।
कैसे ? अरे आप कैसे भारतीय है और कैसे टीवी दर्शक हैं जो इस तरह का मूर्खतापूर्ण सवाल कर रहे हैं ? क्या आपको नहीं पता की भारत में हिन्दी समाचार चैनलों की बढ़ती लोकप्रियता में शनिदेव का कितना बड़ा योगदान है ?
शुक्रवार शाम से टीवी पर जो शनिदेव अवतरित होते हैं वो शनिवार देर रात तक लगातार अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं। इन दिनों में ज्योतिषियों और अन्य विद्वानों का महत्व भी काफी बढ़ जाता है। अब तो खैर हर चैनल के पास अपने-अपने ‘शनि विशेषज्ञ ’ हो गए हैं। अगर कहा जाए कि कुछ हिन्दी समाचार चैनलों की साढ़े साती तो ऐसे ही उतरी है, तो तो वो भी शायद गलत नहीं होगा।
बात तो अब आप भी मानेंगे कि भारत में कुछ गिने-चुने चैनलों को छोड़ दें तो अमूमन सारे हिन्दी समाचार चैनल समाचारों को छोड़कर बाकी सबकुछ दिखाते हैं। और तो और कुछ न मिले तो खुद ही समाचार बना भी देते हैं।
सबसे ताज़ा उदाहरण तो श्री राजेश कुमार उर्फ विल्स का है। परसों एक चैनल ने ये ‘एक्सक्लूसिव ब्रेकिंग न्यूज़’ दी की सहारनपुर के किसी गांव के एक लड़के को अचानक कुछ ऐसी ज्ञानप्राप्ति हो गई है जिससे वो अब राजेश से विल्स बन गया है। बचपन से सीखी भाषा हिन्दी भूल गया है और सिर्फ 150 साल पुरानी अमेरिकन अंग्रेज़ी ही बोल रहा है। सिर्फ़ यही नहीं उसे अचानक भौतिकी के उच्च ज्ञान का इलहाम भी हो गया है और वो एक वैज्ञानिक हो गया है।
चैनल पर लगातार 3-4 घंटे तक राजेश और उसके साथ अलग-अलग विधाओं के विशेषज्ञ भी मौजूद थे। भौतिकी के इस वैज्ञानिक से जब न्यूटन का दूसरा सिद्धांत पूछा गया तो ये वैज्ञानिक महाशय बगलें झांकने लगे। जो अंग्रेज़ी ये श्रीमान् विल्स बोल रहे थे वो साफतौर गलत महसूस हो रही थी। ये बात वहॉं बैठे विशेषज्ञों ने भी कही, जिन विशेषज्ञों ने ज्यादा मुखर होकर कहने की कोशिश की तो वहीं ब्रेक टाइम हो गया या फिर उन साहब को ही धीरे से किनारे कर दिया गया। ये सारी बातें चैनल के दर्शकों, चैनल की ओर से बुलाए गए अधिकांश विशेषज्ञों तक को समझ में आ रही थी पर सिर्फ़ चैनल और उससे जुड़े लोग, उसके संवाददाता ही इससे अनजान थे। या फिर टीआरपी की चूहा दौड़ में आगे निकलने की होड़ में जानबूझ कर चैनल अनजान बना हुआ था। बार-बार कहा गया कि उक्त राजेश की तीन महीनों की ज़िंदगी के बारे में रहस्य बना हुआ है। पर वो क्या रहस्य है ये नहीं बताया गया।
यदि वो रहस्योद्घाटन हो जाता तो पूरी एक्सक्लूसिव स्टोरी की चूलें हिल जाती। खैर अगले ही दिन एक दूसरे चैनल ने वो रहस्योद्घाटन कर दिया और अब ये उसकी एक्सक्लूसिव स्टोरी थी। तीन महीने राजेश ने उल्टी सीधी अंग्रेज़ी पढ़ी। पर वो सही-गलत अंग्रेज़ी न तो गांव में उनके अंग्रेज़ी अध्यापक को समझ में आई और ना ही हिन्दी खबरी चैनल चलाने वाले अंग्रेज़ी स्कूलों के पढ़े चैनलकर्मियों को। ये पहला मौका नहीं है जब कोई समाचार चैनल इस तरह की हरकतों पर उतर आया हो। इसी तरह पिछले दिनों समाचार दर्शकों के साथ एक और भद्दा मज़ाक तब किया गया जब नागपुर में बिना ड्राइवर की कार चलते हुए दिखाई गई।
आज शनिअमावस्या पर शनिदेव कृपा करें और अपनी बदलती चाल से हिन्दी खबरिया चैनलों के इतने पढ़े-लिखे प्रबंधकों, पत्रकारों और अन्य कर्ताधर्ताओं को सद्बुद्धि दें कि वो ये छोटी सी बात समझ सकें कि टीआरपी की चूहा दौड़ अगर आप जीत भी गए तो भी रहेंगे तो चूहे ही।